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गाज़ा में क़त्लेआम के ख़िलाफ़ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन

इज़राइली प्रधानमन्त्री नेतन्याहू और उसके सरपरस्त अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के पुतले और इज़राइली झण्डे जलाये गये।

    यूँही हमेशा उलझती रही है ज़ुल्म से ख़ल्क़
न उन की रस्म नई है न अपनी रीत नई
यूँही हमेशा खिलाए हैं हम ने आग में फूल
न उन की हार नई है न अपनी जीत नई
— फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी तथा अन्य जनसंगठनो द्वारा गाज़ा में क़त्लेआम के ख़िलाफ़ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन ।

गाज़ा में क़त्लेआम बन्द करो !

फ़िलिस्तीनी अवाम की आज़ादी की लड़ाई ज़िन्दाबाद!

हत्यारा नेतन्याहू और बाइडन मुर्दाबाद!

विभाजनवादी इज़रायल और उसके साम्राज्यवादी आक़ा अमेरिका का नाश हो !

आज भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी द्वारा देश के विभिन्न शहरों में फ़िलिस्तीन पर जारी हमले और विभाजनवादी हत्यारों द्वारा किये जा रहे जनसंहार के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन किये गये। दिल्ली एनसीआर के खजूरी, मुस्तफ़ाबाद, मेट्रो विहार, शाहबाद डेयरी, कुसुमपुर पहाड़ी, सूरज पार्क, नोएडा, पुणे, हैदराबाद, लखनऊ, इलाहाबाद, गोरखपुर, बनारस (उत्तर प्रदेश), पटना, कलायत (हरियाणा), उत्तराखण्ड, विशाखापट्टनम, जयपुर में हत्यारे इज़राइली प्रधानमन्त्री नेतन्याहू और उसके सरपरस्त अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के पुतले और इज़राइली झण्डे जलाये गये। इन प्रदर्शनों में भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI) के अलावा अन्य जनसंगठन भी शामिल थे।

फ़िलिस्तीन को तबाह करने के मक़सद से जारी विभाजनवादी इज़राइल की बर्बर क़त्लेआम की मुहिम पिछले 2023 में और तेज़ कर गयी है। इज़राइली हमले के छह महीने बाद, आज की तारीख़ तक, गाज़ा में 32,623 लोग मारे जा चुके हैं जिनमें क़रीब 70 फ़ीसदी बच्चे और महिलाएँ हैं! गाज़ा की आधी से ज्यादा इमारतें इज़रायली बमबारी में ज़मींदोज़ की जा चुकी हैं। अस्पतालों, स्कूलों और पनाहघरों तक को इज़रायली हत्यारों ने नहीं बख़्शा है। सैकड़ों डॉक्टरों, नसों, पत्रकारों और लेखकों तक को जानबूझकर मारा गया है। 20 लाख की आबादी का क़रीब 70 फ़ीसदी हिस्सा बेघर हो चुका है। बची हुई आबादी गाज़ा के एक छोटे-से इलाक़े में पनाह लिये हुए है जहाँ बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं सहित लाखों लोगों के भुखमरी और बीमारी से मरने का ख़तरा बना हुआ है। इज़रायल वहाँ राहत सामग्री और दवाएँ तक नहीं पहुँचने दे रहा है। और तो और, जो कुछ खाना-पानी वहाँ पहुँच रहा है, उसे लेने के लिए के क़तार में खड़े लोगों तक पर गोलियाँ चलाकर सैकड़ों लोगों को मार दे रहा है।

लेकिन अपने दमन के तमाम हथकण्डों, बर्बरता और ख़ूँ-रेज़ी के बावजूद इज़राइल कभी भी फ़िलिस्तीनी अवाम के जज़्बे को तबाह नहीं कर सकता। एक पूरी क़ौम को ख़त्म करने पर आमादा इज़राइल फ़िलिस्तीनी अवाम के दिलों में बसने वाली आज़ादी की चाहत को नहीं मिटा सकता।

दुनियाभर में आज इज़राइल द्वारा जारी नरसंहार के खिलाफ़ लाखों की तादाद में सड़कों पर उतर रहे हैं। ज्यादातर देशों के हुक्मरान खुलेआम या चुपचाप इज़राइल का साथ दे रहे हैं। भारत में सत्तासीन फ़ासीवादी मोदी सरकार का नेतन्याहू और हत्यारी इज़राइली सत्ता का साथ देना कोई तुर्फ़ा-माजरा नहीं है।

भारत में इज़राइल के खिलाफ़ और फ़िलिस्तीन के हक़ में होने वाले तमाम प्रदर्शन पर मनाही है। ऐसे सभी मामलों में प्रदर्शनकारियों को तुरन्त गिरफ़्तार कर लिए जाने के आदेश हैं। इसके बावजूद आज देश में विभिन्न शहरों में फ़िलिस्तीनी अवाम के साथ एकजुटता ज़ाहिर करते हुए प्रदर्शन किए गए। प्रदर्शन के दौरान हुई सभाओं के ज़रिये यह पैग़ाम दिया गया कि फ़िलिस्तीन बर्बरता के ख़िलाफ़ इस लड़ाई में अकेला नहीं है। भारत का मज़दूर वर्ग उसके संघर्षों में उसका हमराही है। साम्राज्यवाद और ज़ायनवाद के खिलाफ़ फ़िलिस्तीनी जनता का प्रतिरोध दुनियाभर में साम्राज्यवाद और पूँजीवाद से लड़ रही जनता के लिए सालों से एक मिसाल है और हमेशा रहेगा।

स्वप्नजा और m.facebook.com/story.php के सौजन्य से

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