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‘द प्रॉब्लम ऑफ रुपी’  की शताब्दी के उपलक्ष्य में 11 जून को लंदन में सम्मेलन का आयोजन

भारतीय अर्थव्यवस्था में रुचि रखने वाले आम लोग लंदन में भाग लेंगे।

राष्ट्रनिर्माता डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने 11 जून 1923 को ‘रुपये की समस्या, इसकी उत्पत्ति और समाधान’ पर एक थीसिस प्रस्तुत की।  2023 में इस घटना के 100 वर्ष पूरे हो गए। इस बीच ‘रुपये की समस्या’ विषय पर मराठी अर्थशास्त्र परिषद महाराष्ट्र और सायस सहकारी संस्था पुणे ने इस सौ साल के इतिहास, वर्तमान और भूगोल के आर्थिक मुद्दों पर टिप्पणी करते हुए अगले सौ साल के बारे में सोचने के इरादे से ग्लोबल और पोस्ट-सेंचुरी, 11 जून 2024 को लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स  सम्मेलन में,चर्चा होगी।

पुणे श्रमिक पत्रकार संघ में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आयोजक रवींद्र चव्हाण ने इसकी जानकारी दी। इस सम्मेलन के बारे में जानकारी देते हुए चव्हाण ने कहा कि, इस सम्मेलन में विभिन्न भारतीय विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर, विषय विशेषज्ञ, सरकारी प्रशासन के उच्च अधिकारी, न्यायपालिका के प्रतिष्ठित न्यायाधीश, वकील और भारतीय अर्थव्यवस्था में रुचि रखने वाले आम लोग लंदन में भाग लेंगे।

इस सम्मेलन में भारत से 35 और दुनिया भर से 25 लोग हिस्सा लेंगे. इस सम्मेलन में भारत से रवीन्द्र चव्हाण, डॉ.. केशव पवार, डॉ.. गजानन पट्टे बहादुर, डॉ.. सजॉय रॉय के साथ-साथ विदेश में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के डैनियल पायने (Daniel Pyne),, डॉ. जेरेमी ज़्विएगेलर(Jeremy Zwiegelaar)  और डॉ. फ्रांसिस्को मुनोज Dr. Francisco Munoj) विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन करेंगे।

भारत के 50 प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों और विदेश के 50 विश्वविद्यालयों को भारतीय अर्थव्यवस्था पर टिप्पणी करने के लिए 10 विषयों पर शोध पत्र लिखने और भेजने के लिए कहा गया था। इसके अनुसार अब तक 15 शोधार्थी विभिन्न विषयों पर अपने शोध पत्र लिखकर सम्मेलन में प्रस्तुत करेंगे। इसके अलावा रिजर्व बैंक, नाबार्ड और अन्य बैंकों के वरिष्ठ अधिकारी, अर्थशास्त्री और वित्तीय संस्थानों के गणमान्य लोग शोध पत्रों को शोधार्थियों को भेज रहे हैं। साथ ही इनमें से कुछ विशेषज्ञ इस कॉन्फ्रेंस में ऑनलाइन मार्गदर्शन भी देने वाले हैं।

इस सम्मेलन के बारे में अधिक जानकारी देते हुए चव्हाण ने कहा, इस सम्मेलन के परिणामस्वरूप अक्टूबर 2024 से दिसंबर 2024 की अवधि के दौरान प्राप्त शोध निबंध और सम्मेलन में विशेषज्ञों द्वारा दिए गए भाषणों को ऑक्सफोर्डविश्व – विद्यालय का मुद्रणालय द्वारा एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा।

१०० वर्ष पूर्व डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरजी ने भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव, ‘प्रॉब्लेम ऑफ द रुपी’ के माध्यम से रखी थी, उनके इस योगदान को श्रदा सुमन अर्पित करने के लिए इस संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा हैं।

पुणे श्रमिक पत्रकार संघ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में अॅड. विजया खोपड़े, डॉ नारखेडे, प्रा. डॉ. मेघना भोसले (अर्थशास्त्र विभाग प्रमुख, मामासाहेब मोहोल कॉलेज) और प्राचार्य डॉ. शिवाजीराव ढगे, सावित्रीबाई कॉलेज ऑफ आर्ट्स, कॉमर्स एंड साइंस, पिंपलगांव पीसा, अहमदनगर आदि उपस्थित थे।

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