विश्वविद्यालय अनुदान आयोग मुख्यालय के बाहर छात्र संगठनों का आंदोलन
UGC का प्रस्ताव लोकतांत्रिक भारत के लोकाचार के लिए हानिकारक है ।।
नई दिल्ली:- ३० जनवरी २०२४ : जेएनयू छात्र संघ आई सा और एसएफआय जैसे छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के, अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित उच्च शिक्षा संस्थानों की रिक्त पदों को अनारक्षित करने का सुझाव दिया था । उसके खिलाफ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मुख्यालय के बाहर इन छात्र संगठनो ने विरोध प्रदर्शन किया।
AISA will continue the struggle to ensure the deletion of de-reservation clause from the Draft Guideline!
Stop attacks on social justice! Shame on #UGC!@ugc_india @EduMinOfIndia pic.twitter.com/bh55pBG1JB
— AISA (@AISA_tweets) January 30, 2024
अपने एक बयान में एआयएसऐ ने कहा की, “विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा 27 दिसंबर 2023 को दिया गया प्रस्ताव लोकतांत्रिक भारत के लोकाचार के लिए हानिरक है और शिक्षा संस्थानों में सभी समावेशिका और न्याय को बर्बाद कर देंगे ।” एआईएसए के बयान में कहा गया है कि यह प्रस्ताव छात्रों द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा अगर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यह दिशा निर्देश पूरी तरह से हटाते नहीं है, तीव्र आंदोलन करने की मंशा जाहिर की।
छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की चाल को उजागर करते हुए कहा, “मसूदा दिशानिर्देश केवल अंग्रेजी में ऑनलाइन और प्रेस में प्रसारित किए बिना जारी किया जाना मतलब सुनिश्चित तैयारी के साथ रिजर्वेशन पॉलिसी को बंद करने की चालाकी है।”
विभिन्न छात्र संगठनों के प्रतिनिधित्व करने वाले छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल ने यूजीसी कार्यालय में अधिकारियों से मिलकर मसूदा दिशानिर्देशों के लागू होने पर छात्र संगठनों के शिकायतों को प्रस्तुत किया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अधिकारियों द्वारा छात्र संगठनों के प्रतिनिधित्व मॉडल को आश्वासन दिया गया था, कि अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को हटाने के लिए मसूदा दिशा निर्देशों को संशोधित किया जाएगा ऐसा दावा स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया के पदाधिकारी ने किया।